पंच महाभूत(भूमि,गगन,वायु,अग्नि,नीर) को शुद्ध,सजीव शक्तिशाली करके जिन किसानों ने TCBT रसायन मुक्त खेती की है उनकी खेती से अनेक तरह के फसलों के बहुत सुंदर सुंदर चित्र और वीडियो आ रहे है,मेरे फेसबुक पेज के उक्त लिंक पर जाकर देखे अभी चित्र और वीडियो। TCBT पंच महाभूत ऊर्जा विज्ञान को समझने के लिए निम्न लेख को पूरा पढ़े और खेती करे
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🏵️प्रकृति पंच भूतानि🏵️
*प्रकृति 5 महाभूतों (महाजीवों) से बनी है*
पंचमहाभूत अर्थात पांच महाजीव *(भूमि गगन वायु अग्नि नीर)* जिन्होंने इस धरती में जीवन की विशाल रचना खड़ी की जिसे हम आज प्रकृति कहते हैं। प्रकृति निर्माण की रचना में -
👉भूमि माता है
👉गगन पिता है
👉वायु प्राण है
👉नीर जीवन है
👉अग्नि स्फूर्ति है
(विस्तृत लेख TCBT वृक्षायुर्वेद में पढ़े)
अभी मैं आपको पंचमहाभूत संतुलन विज्ञान बता रहा हूं
पंचमहाभूतों को भगवान कृष्ण ने "अपरा ऊर्जा" कहा है
अपरा उर्जा मतलब जिस उर्जा की बनी हुई रचना अपरिवर्तित है।
हमारे शरीर में पंचमहाभूत रचना जीवन भर स्थिर रहनी चाहिए,हम जब मां के गर्भ से पैदा होते हैं तो हमारे शरीर में 70% जल, 8% आकाश, 1% भूमि तत्व, और 21% वायु तत्व,अग्नि तत्व सबमें तय मात्रा में समाहित होता है,अग्नि अंतरभूत होता है अतः इसे प्रतिशत में नही गिना जा सकता है, इतना महाभूताें का संतुलन पूरे जीवन भर हमारे शरीर में स्थिर रहना चाहिए
क्योंकि यही प्रकृति ने हमारी शरीर रचना का संतुलन तय किया है,इस संतुलन को जीवन भर हमें बनाए रखना ही पड़ता है, अगर यह संतुलन गड़बड़ा गया तो हमारे शरीर में दोष उत्पन्न हो जाता है जिसे त्रि-दोष कहा गया है-
जैसे जल तत्व घट गया या अग्नि तत्व बढ़ गया तो हमारे शरीर में पित्त दोष उत्पन्न हो जाता है,आंखें लाल हो जाती है, जीभ लाल हो जाती है, तलवे मैं लालिमा आ जाती है, नींद नहीं आती, बार-बार नींद खुलती है, बार-बार पसीना आता है, यह सब पित्त दोष के लक्षण है।
इस स्थिति में हमें हमारे शरीर में जल तत्व को बढ़ाने के उपाय या अग्नि को घटाने के उपाय करने पड़ेंगे।
ऐसे ही यदि हमारे शरीर में जल तत्व ज्यादा बढ़ जाए या अग्नि तत्व कम हो जाए तो हमारे शरीर में कफ दोष उत्पन्न हो जाता है जिसका लक्षण है, सर्दी जुकाम होना,आलस्य ज्यादा होना,नींद बहुत आना, काम करने में मन ना लगना, आंख में सफेदी आना, जीभ सफेद होना आदि लक्षण है।
ऐसी स्थिति में हमें पित्त बढ़ाने वाले उपाय करने पड़ेंगे।
यदि शरीर में जल अग्नि के साथ साथ वायु भी बढ़ने लगे तो
यह वात विकार हो जाता है, इसके लक्षण- जीभ में कट-कट के निशान होना, फटने के निशान होना, हाथ पैरों में शिराओं का दिखना ,चमड़ी में खुश्की आना, नींद नहीं आना, लकवा,साइटिका आधासीसी मस्तिष्क आदि बीमारियों का होना होता है। इस स्थिति में हमें त्रि-दोष नाशक उपाय करने पड़ते हैं। पूरी प्रकृति में किसी भी प्रकार का दोष या विकार उत्पन्न हो रहा है तो समझिए कि आपके पंचमहाभूत ऊर्जा असंतुलित हो गए हैं।
अभी मैं पंचमहाभूत कृषि प्रवर्तक के नाते आपको कृषि में पंचमहाभूत संतुलन विज्ञान बता रहा हूं।
सबसे पहले ऊर्जा जल डाल कर भूमि और जल को शुद्ध करना है, अग्निहोत्र के माध्यम से अग्नि, वायु और आकाश महाभूत को शुद्ध करना है, फिर इन्हें सजीव करने के लिए भूमि में जीवाणु जल, पानी में मीठा जल, वायु में गंध चिकित्सा करना आदि कार्य है, पंचमहाभूतों को शुद्ध सजीव करने के बाद इन्हें शक्तिशाली करने का कार्य करना होता है।
ईस्वी वर्ष 2009 में प्राकृतिक खेती शोध संस्था बालाघाट की स्थापना के समय ही मैंने लक्ष्य रखा था कि मैं प्राकृतिक खेती के माध्यम से पंचमहाभूतों को शुद्ध सजीव और शक्तिशाली करूंगा, मेरा मुख्य उद्देश्य मेरे भगवान(भूमि-गगन-वायु-अग्नि-नीर) को शुद्ध सजीव और शक्तिशाली करना ही है, यही मेरी साधना और यही मेरा लक्ष्य है, आज यानी 14 दिसंबर 2022 तक इन पंच महाभूतो को देखने,समझने,जांचने,परखने और कमी अधिक को ठीक करने के कार्य में मैं अनेक लोगों को शिक्षित कर चुका हूं।
मेरी शक्ति इतनी ही है,आगे का कार्य आपको करना है,मेरे भगवान मेरे इस कार्य का गौरव मुझे अवश्य देंगे, ऐसी मेरी कामना है।
मेरे भगवान आज तक दूषित ही होते रहे है,किसी ने इन्हे जीवित समझा ही नहीं,किसी ने इनके दुख दर्द को देखा ही नहीं, महसूस ही नही किया,किसी ने इन्हे शुद्ध,सजीव शक्तिशाली करने के बारे में सोचा नही,चिंता नहीं की,जब प्रकृति बनाने वाले ये पंच महाभूत ही इतने दूषित हैं तो प्रकृति का दूषित होना तो लाजमी है,भगवान दूषित है तो इनसे बनी पूरी प्रकृति दूषित होगी ही, मैने इन्हे शुद्ध सजीव करने का अत्यंत सरल मार्ग बता दिया है,मेरा काम हो गया है अब आपका कार्य बचा है।
अपने खुद के दु:खों से उबरने की थोड़ी सी भी आपमें इच्छा शक्ति है तो लग जाओ इस काम पर शायद मेरे ये भगवान आपको मोक्ष भी दे दे।
क्योंकि
आज के समय में प्रदूषित हो चुके भूमि,गगन,वायु,अग्नि,नीर को शुद्ध सजीव करने के अलावा अन्य सब काम बहुत छोटे है,गौड़ है।
अपने पारिवारिक,सामाजिक,धार्मिक, राजनीतिक काम को साइड में करो और इस काम को प्राथमिकता दो,आपकी खेती,आपका स्वास्थ्य सुदृढ़ हो ही जाएगा,आपको सभी सुख-दु:ख से निवृत्ति (मोक्ष)मिल जायेगी।
पूरी दुनिया का पेट भरने का काम किसान रूपी इंसान करता है,किसान ना केवल मानव समुदाय को अपितु प्रकृति के सभी पशु पक्षी कीट पतंग सूक्ष्म जीवाणुओं को अपनी कृषि के माध्यम से भोजन देता है,इंसान के मूल कर्म कृषि (प्रकृति के ऊर्जा चक्र के अनुसार खेती अर्थात TCBT कृषि)से पंच महाभूत स्वत: स्वत:शुद्ध सजीव हो जाते है,इनको शुद्ध सजीव करने के लिए किसी को भी अतिरिक्त काम नही करना पड़ता है,
परंतु
रासायनिक खेती के भ्रम जाल ने किसान की बुद्धि फिरा दी,किसान पंच महाभूतों से खेती करवाने के बजाय खुद खेती करने लगा, खाद पानी खुद देने लगा,मिट्टी के केंचुए को जुताई से हटा कर खुद ट्रेक्टर लगाकर जुताई करने लगा।
केमिकल जहर और नकारात्मक ऊर्जा वाले खाद बीजों के उपयोग से पंच महाभूत जितने दूषित हुए कृषि भी उतनी दूषित होती चली गई।
सबको दूषित भोजन मिल रहा है, सब पीड़ित हैं,हाहाकार है,अगले 10 साल में शहर शहर,गांव गांव वायरस कैंसर से पीड़ित मानव,पशु पक्षी होंगे, रुपया डालर का इतना अवमूल्यन हो जाएगा,टोकने भर रूपयो से भी शुद्ध भोजन नही मिलेगा, पंचतत्व युक्त भोजन और छप्पन भोग वाटिका ही आपका जीवन बचा पाने में सक्षम रहेगी।
मेरे अभी तक के कृषि अनुभव मुझे बता रहा है कि जिन किसानों ने पंच महाभूत युक्त कृषि को अपनाया है, उनका जीवन धन्य हो गया है, उसका उत्पादन भी उसके जीवन के अभी तक के उत्पादन से ज्यादा मिलने लगा है, हम उत्पादन के मामले में रासायनिक खेती को बहुत पीछे छोड़ चुके है,केमिकल खेती से उपजी फसल व मानव स्वास्थ्य की बीमारियों को भी इस पंच महाभूत की खेती ने खत्म कर दिया है,हर किसान के खेत में हरी भरी स्वस्थ फसल आ रही है, दूषित और कठोर हो चुकी मिट्टी मक्खन जैसे मुलायम होती जा रही है, इस खेती से उपजे भोजन में विटामिन प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट से युक्त उच्च कोटि का खाद्यान्न मिल रहा है,जो खाने में स्वादिष्ट और शरीर के लिए पौष्टिक है, इसका खाद्यान्न में अणुओ और जीवाणुओ दोनों का संपूर्ण सुक्ष्म संसार है, इस प्रकृति में ऊर्जा को पकड़ने में क्षमता केवल मेरे भगवान (पंच महाभूत) में है,इन्हे अपनी खेती में स्थापित करो,इनसे उत्पन्न खाद्यान्न ऊर्जा से परिपूर्ण तो होगा ही,सभी प्रकार के अणुओं(मिनरल्स) और जीवाणुओं(एसिड्स,एंजाइम्स) से भी पूर्ण होगा। पंचमहाभूत युक्त ऊर्जा से भरा हुआ भोजन जो भी करेगा उसका शरीर मन- बुद्धि शुद्ध हो जाएगी सजीव हो जाएगी शक्तिशाली हो जाएगी।
हे पंचमहाभूत,
हम सब पर कृपा बनाए रखना,
हम आपकी सहायता से कृषि कार्य के लिए सज्ज हैं, "धर्मो रक्षति रक्षित:" हम अपने धर्म अर्थात अपने कर्म अर्थात अपने कृषि पर अडिग रहेंगे, तो यह हमारा कर्म (कृषि) सदैव हमारी रक्षा करेगा।
ॐ तत्सत
ताराचंद बेलजी
संस्थापक
प्राकृतिक खेती शोध संस्था,बालाघाट
जैविक जीवन शैली विज्ञान समिति,भोपाल
🏵️भूमि तत्व🏵️
भूमि तत्व प्रकृति का आधार तत्व है माता तत्व है, यही तत्व से शेष 4 महाभूत का आकलन किया जा सकता है, इसकी तृण मात्रा (सूक्ष्म उर्जा इकाई) को रूप कहा गया है।
भूमि से निकालने पर इसका स्वरूप ठोस मिलता है, गगन में इसका स्वरूप रंग कहलाता है, वायु में इसका स्वरूप गंध कहलाता है, अग्नि में इसका स्वरूप "स्वर" कहलाता है और नीर में इसका स्वरूप "स्पर्श" कहलाता है।
फसल में भूमि तत्व की कमी के लक्षण
1)पत्तियों का टेड़ा मेंड़ा बनाना
2)पत्तियों का आधी भाग सुखना
3) तने की गठाने पास पास होना
4) फलों का आधा गलना
5) फलो तनों के अंदर इल्लियो का आना
6)पत्तों फूलों में रस चूसक कीटो का ज्यादा आना
फसल में भूमि तत्व के कमी का समाधान
स्थाई उपाय
1)लाल-पीली- सफेद मिट्टी और गोवर्धन खनिज खाद डाले
2) भस्म रसायन या Soul का सुपर स्वाइल जमीन में डालें
3)अणु जल और फसल घुट्टी सिंचाई के पानी में चलाएं
4)जीवाणु जल / सजीव जल /पंचगव्य घोल सिंचाई के जल में मिलाकर चलाएं
तत्कालिक उपाय
5) फसल में 20%ऊर्जा जल और खनिज रसायन मिलाकर स्प्रे करें
6) नैनो नत्रजन और Ok-P (ओके-पी) का स्प्रे करे
7) सुबह शाम गंध चिकित्सा करके फसल को भूमि तत्व दे सकते है
🏵️गगन तत्व🏵️
गगन तत्व रिक्त तत्व है,शून्य तत्व है,
कोई भी पदार्थ इसी शून्य में पहुंचकर ऊर्जा में बदलता है, मनुष्य सहित सभी जीवो के अंदर की रिक्तता ही उसे ऊर्जा प्रदान करती है,
प्रकृति के निर्माण में सबसे पहले आकाश तत्व का ही उदय हुआ हुआ
इसी ने ही अन्य तत्वों का निर्माण किया,सभी तत्व इसके अंदर होते है
इसी लिए भारतीय दर्शन में इसे पिता तत्व कहा गया है।
सभी जड़ चेतन के अंदर ऊर्जा प्राप्त करने के लिए गगन तत्व का होना आवश्यक है।
फसल में गगन तत्व के कमी के लक्षण
1)जिस खेत की मिट्टी में गगन तत्व नहीं होता वहां अंकुरण क्षमता वाले बीज नहीं बनते है
2)फल का वजन कम रहता है
3)फूल झड़ते हैं
4)पौधे में ऊंचाई नहीं आती है
5)पत्ते छोटे रहते हैं
फसल में गगन तत्व के कमी के समाधान
स्थाई उपाय
1) सूर्य तप्त गौमूत्र 10 लीटर सिंचाई जल के साथ जमीन पर जाने दें।
2) मृदा सौर्यीकरण करें (मिट्टी को धूप दिखाएं)
3)फूल आने के पहले पौधे को तान दे (खुराक पानी बंद करना)
तत्कालिक उपाय
1) 3ml सूर्य तप्त पीले बॉटल का गौमूत्र प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
2)शिवलिंग की हरे फलों के जैव रसायन 0.1%का स्प्रे करे
🏵️वायु तत्व🏵️
वायु मनुष्य में जीवन ऊर्जा का प्रवाह है,हम जो भी पोषण लेते हैं वह ऑक्सीजन वायु के साथ मिलकर हमारे शरीर के रोम-रोम तक जाता है,और वहां जीवन ऊर्जा उत्पन्न करता है पोषण देता है।
ऊर्जा के साथ साथ शरीर में रस रक्त मांस मज्जा अस्थि मेधा और वीर्य भी बनाता है, वायु का गुण प्रवाह है, सतत प्रवाह इससे हमारे शरीर में स्फूर्ति देता है, लचक देता है।
वायु तत्वों की कमी के लक्षण
पौधे में वायु तत्व कम होने से विकास रुक जाता है, चमड़ी शुष्क पड़ती है पत्ते और फलों में स्वाद नहीं रहता है पत्तों में नसे उभर आती है
फसल में वायु की कमी के उपाय
स्थाई उपाय
1)मिट्टी में हरी खाद, जीवाणु कम्पोष्ट खाद डालें,
2) मिट्टी में दरारे पड़ने दें
3)200लीटर जीवाणु जल सिंचाई के पानी में मिलाकर जमीन पर डालें।
तत्कालिक उपाय
3)ऊर्जा जल में अग्निहोत्र भस्म की मात्रा बढ़ाकर (100लीटर पानी में 500ग्राम भस्म का घोल) जड़ों में दें
4) 200लीटर जीवाणु जल में 10 लीटर जैव रसायन मिलाकर जड़ों में दें।
🏵️अग्नि तत्व🏵️
अग्नि तत्व ऊर्जा को पदार्थ में और पदार्थ को ऊर्जा में बदलने वाला तत्व है, इसका सब स्थानों पर प्रकृति द्वारा नियत स्थिति में सम रहना आवश्यक है, जैसे ही अ-विषम होता है, जीवन रचना ही बदल जाती है।
यह शेष महाभूतों सहित अन्य जड़ चेतन को शुद्ध करने में अपनी भूमिका निभाता है। ताराचंद बेलजी तकनीक में अग्निहोत्र अनिवार्य भाग है, अग्निहोत्र से ही पंचमहाभूतों को शुद्ध और शक्तिशाली बनाया जाता है।
फसल में अग्नि तत्व के कमी के लक्षण
पत्तों में हल्का पीलापन आना, पत्तों का कड़क न रहना, सूर्य प्रकाश का अवशोषण कम होना, प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया का पूर्ण ना होना,फूलो पत्तों में चमक न रहना
फसल में अग्नि तत्व की कमी दूर करने के उपाय
स्थाई उपाय
1)Soul के भस्म रसायन,सुपर स्वाइल अंतिम जुताई या बुआई पूर्व जमीन में डालें।
2)लाल,पीली मिट्टी जुताई बुआई पूर्व जमीन में डालें
तत्कालिक उपाय👇
3)लाल, पीली कांच के बॉटल में सूर्य तप्त गौमूत्र 6 लीटर बनाकर सिंचाई जल के साथ जड़ों में डाले और 3ml प्रति लीटर पानी की दर से फसलों पर स्प्रे करें
4) 20%ऊर्जा जल और Soul ke नैनो खनिज 5ml प्रति लीटर पानी में मिलाकर फसलों पर स्प्रे करे।
🏵️जल तत्व🏵️
जल तत्व की सूक्ष्म इकाई नीर कहलाती है,जो सबकी प्यास बुझाती दे,सबको जीवन देती है।
ऊर्जा को बांधने का काम जल तत्व ही करता है, जल तत्व ही ऊर्जा को प्रत्येक अंगों तक पहुंचा कर उनका आहार पूर्ण करने का काम करता है,जिसे प्रत्याहार कहा गया है।
हमने प्राकृतिक खेती में जब से जल के साथ ऊर्जा को,अणुओं को,जीवाणु को फसलों में देना शुरू किया यथा - ऊर्जा जल,अणु जल,जीवाणु जल,भूमि जल,मीठा जल,सजीव जल आदि.. तब से ही हमे पूर्ण प्रभावी परिणाम प्राप्त हुए है।
फसलों में जल की की कमी के लक्षण -
पत्तियों की ऊपरी भाग क्या सूख जाना, किनारे के भाग का सिकुड़ जाना, पत्तियों का चमक कम हो जाना,पत्तियों का मुरझाना, फलों का स्वाद कम होना,फलों में रस का कम होना
फसल में जल की पूर्ति के उपाय
स्थाई उपाय
1) हर अमावस्या,पूर्णिमा सिंचाई स्रोत में भूमि जल(अग्निहोत्र भस्म,फिटकरी और गौमूत्र का घोल) और हर एकादशी मीठा जल(दूध और जैव रसायन) डालें
2)जमीन में सफेद मिट्टी(जिप्सम) डाले
3)तिल की हरी खाद,कम्पोष्ट खाद जमीन में गढ़ाएं
4)प्रति एकड़ 2kg महीराजा या 250 ग्राम नैनो महीराजा बुआई पूर्व जमीन पर डालें
तत्कालिक उपाय
4) हर सिंचाई के पूर्व जमीन पर माथा टिकाकर माता गंगा से प्रार्थना करे
(हे गंगा माता,यह जल मेरे फसलों के पोषण के लिए है,कृपया आप अपनी शक्ति प्रदान करें, हे ईश्वर इस कार्य में मेरी सहायता करें।)
नोट - मिट्टी निगेटिव हो तो पंच महाभूत संतुलन से पहले मिट्टी में ऊर्जा जल डालकर मिट्टी को पॉजिटिव करें तभी इच्छित परिणाम प्राप्त होंगे।
या नियमित प्रार्थना करके मिट्टी को पॉजिटिव बनाए रखें।
🙏
ताराचन्द बेलजी
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